उभरती हुई जवानी

हाई दोस्तों,यह कहानी मेरे उन दिनों की है जब मैं हमने अपने शेहेर की नयी कॉलोनी में नया घर लिया था | मेरे ज्यादा मित्र नहीं थे पर धीरे – धीरे मेरी मम्मी की सखियों की संख्या बढती ही जा रही थी जिससे दिनभर घर पर कोई न कोई मेरे घर पर रहता | मेरे घर पर किसी पूजा पाठ या किसी कीर्तन के कारण आना जाना हमेशा चलता रहता | मैं अकसर अपने ही कमरे में रहता और अपने विभिन्न कार्यों में व्यस्त रहता | एक दिन प्रियंका नाम की लड़की मेरे घर पर आई जोकि उम्र में मुझे २ साल छोटी थी | वो कमरे में आई और मुझे धीमी सी मुस्कान देते हुए पूजा की थाली रख चली गयी | बाद में पता चला की प्रियंका मेरे पडोसी ही है और उसकी और मेरी मम्मी की कुछ खास ही सखी थीं और हमेशा दोनों का एक दूसरे के घर आना जाना चलता रहता था |प्रियंका अकसर जब भी अपने स्कूल को निकलती तो एक मुझे एक मुस्कान देती हुए जाती | एक दिन मेरी मम्मी को किसी के घर कीर्तन के लिए जाना था साथ ही प्रियंका की मम्मी भी अपने घर पर ताला लगाके चली गयी और वो लोग शाम को ८ बजे तक वापिस आने वाले थे | दोपहर को अचानक ही मेरे घर की घंटी बजी और जब मैंने देखा तो पता चला की प्रियंका स्कूल के ही कपड़ों में अपने बैग समेत खड़ी थी |मैं – हाँ . . .बोलो क्या हुआ ?प्रियंका – दरअसल . . भैया वो मेरे घर पर ताला लगा है | क्या मेरी मम्मी आपको हमारे घर की चाबी देकर गयी हैं ? (सहमी हुई)मैं – बदकिस्मती से नहीं | पर कोई बात नहीं जब तक तुम्हारी मम्मी नहीं आ जाती, तुम हमारे घर पर ही टेहर जाओ |प्रियंका पहले तो कुछ शरमाई और फिर चुपचाप अपनी जूती को बहार ही उतार अंदर आकर बैठ गयी |मैंने जल्दी से उसके और अपने को कुछ खाने को बनाया और कुछ देर उससे इधर – उधर की बात कर अपने से घुला – मिला लिया | अब तो प्रियंका मुझसे हंस – हंस कर बात कर रही थी | तभी मैंने अपना दीमक दोड़ाया और उसे अपने अंदर वाले कमरे में ले आया और अपने बिस्तर पर बिठाकर अपने लैपटॉप में फोटोज़ दिखने लगा | मैंने कुछ देर प्रियंका से बात करते हुए फोटोज़ दिखाई और उसे दिल बहलाने के लिए कुछ रोमांटिक फिल्में चलायी जिससे प्रियंका का ध्यान उसकी उभरती जवानी की तरफ आए | तभी मैंने प्रियंका से पूछा,मैं – कभी तुमने कामुक फिल्में देखि हैं ?प्रियंका – नहीं . . कभी अकेले में वक्त ही नहीं मिला | (शर्मीली मुस्कान देते हुए)मैं – अच्छा तो क्यूँ न आज एक कामुक फिल्म देख ली जाये ! !तभी मैंने उसकी कुछ न सुनते हुए एक कामुक फिल्म चला दी जिसे देखते ही प्रियंका सहम गयी और अपनी आखें बंद कर ली |तभी मैंने अपने एक हाथ से उसके हाथ को कोमलता से सहलाते हुए समझाया की “इस नशे में उतनी ही उत्तेजना मिलती है जितनी तुम्हे इसे देख के घिन्न आ रही है” |प्रियंका कुछ शरमाई और हलके हलके से देखना शुरू कर दिया | मैं भी उसके एक हाथ को सहलाने लगा और फिर धीरे – धीरे अपने एक हाथ से उसकी कमर पर सहलाने लगा | प्रियंका अपने साथ हो रहे इस कामुकता के नशे का स्पर्श लेते हुए उस कामुक फिल्म में डूबी हुई थी और अपने होठों को अपने दाँतों तले भीच रही थी | तभी मैंने लैपटॉप बंद कर दिया और उसके आखों में आखों डाल अपनी उँगलियों से उसके एक हाथ को कंधे तक सहलाने लगा | प्रियंका एक दम शांत रही जैसे उसे कोई सांप सूंघ गया हो और हलकी – हलकी सिसकियाँ ले रही थी |मैंने तभी उसके इस नशे का फ़ायदा उठाते हुए उसे अपनी बाहों में जकड लिया और उसके गालों को चूमने लगा | फिर मैं धीरे – धीरे उसके होठों की तरफ बड़ा और उसके गुलाबी होठों को चूसने लगा जिसपर प्रियंका ने अपनी आखों भीच रखीं था और अपने अंगों के साथ हो रहे खिलवाड़ का लुप्त उठा रही थी | मैंने तभी उसके होठों के रस को पीते हुए अपने एक हाथ उसके छोटे – छोटे टेनिस – गेंद के बराबर चुच्यिओं पर फेरने लगा | फिर मैंने उसके नशे को बढ़ाने के लिए उसके होठों को चूसने की गति बढ़ाई और साथ ही अपने दायें हाथ से उसकी शर्ट के उपर से उसके निप्पल के इर्द – गिरध अपनी उँगलियाँ घुमाता रहा और बाएं हाथ से उसकी शर्ट के बटनों को खोलने लगा | जैसे ही मैंने शर्ट खोली तो उसके गोरे – गोरे चुचे मेरे सामने थे जिनमें मैंने बारी- बारी अपने अपनी जीभ से चाटा और खूब मसलकर पिने लगा जिसपर प्रियंका सिसकियाँ लेती हुए मेरे बिस्तर पर ही लेट गयी |मैं प्रियंका के उपर लेट गया और उसके उसके चुचों को मसलते हुए उसकी छोटी सी नीली स्कर्ट में हाथ डाल उसकी चुत की पैंटी के उप्पर अपनी उँगलियों को मसलने लगा जिससे प्रियंका अपने शरीर को झटकर सिसकियाँ लेने लगी | तभी मैंने प्रियंकी की स्कर्ट के हुक को खोल उसे उतार दिया और उसके होठों को मसलते हुए उसकी पैंटी में अपना हाथ डाल अपनी उँगलियाँ उसकी कुंवारी चुत पर रगड़ने लगा | फिर मैंने नीचे झुककर उसकी पैंटी निकाल दी और अब उसके भूरे – भूरे चुत के बाल मेरे सामने ही थे |मैंने फिर पहले प्रियंका की चुत को चूमा और फिर अपने उँगलियाँ उसकी चुत में देनी शुरू – शुर की जिससे वोह बेकाबू हो उठी और गहरी – गहरी सिसकियाँ भरने लगी | मैं फिर लगभग २५ मिनट प्रियंका के बाजु में लेटकर उसके होठों को चुमते हुए उसकी चुत मैं ऊँगली की जिससे उसकी चुत पूरी गीली हो चुकी थी |मैंने फिर प्रियंका को खड़ा किया और उसे चुमते उसके एक तंग को चौड़ा ने के लिए अपने बिस्तर के पाए पर रखा और उसके उसके चुचियों को मसलते हुए अपने लंड को उसकी चुत में हलके से डाला | मेरा लंड आधा ही घुसा था की प्रियंका को बहुत दर्द होने लगा | थोड़ी देर बाद मैंने फिर मैंने आधा ही उसकी चुत में आगे – पीछे देना शुरू कर दिया, जिससे प्रियंका गहरी सिसकियाँ भरने लगी और मेरे होठों को कसकर चूसने लगी | जैसे ही हमें मज़ा आने लगा तो मैंने ताकत लगाकर गहरे झटके दिए जिससे मेरे लंड उसकी चुत में पूरा का पूरा जाने लगा | मैंने उसकी उभरती चुत को बेझिझक चोदा और आखिर में अपना अपना सारा मुठ उसे उल्टा कर उसके गोरे चूतडों पर डाल मॉल दिया और फिर हमने शाम तक एक दूसरे को अपनी बाहों में भींचकर खूब चुम्मा – चाटी की और यौन – क्रिया का भोग उठाया |शाम को हमारी मम्मियों के आते ही वो घर को चली गयी और मैंने उसके गिरे खून को जल्दी साफ़ किया और सोने का छलावा रचने लगा | अगली बार कभी भी प्रियंका शर्म के कारण अपनी नज़र मुझसे न मिला पाई | मैंने उससे कई बार बात भी करने की कोशिश भी की पर वोह शर्मा के भाग जाती | जो कुछ भी हुआ अछे के लिए हुआ, उसके बाद से हमने कभी बात नहीं की पर हाँ, वो एक दूसरे के शरीर से मिली कामुकता हमेशा याद रहेगी |

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