फाड़ दी पैंटी चोद दी आंटी » हिंदी सेक्स कहानियाँ

हाई दोस्तों,यह कहानी मेरे उन दिनों की हाई जब मैं अपने सहर में नया था और किस तरह अनजाने अनजाने में मेरी बढती दोस्ती ने मेरे लंड को एक नयी शादी शुदा किरन(आंटी) की चुत की दावत मिली |शेहेर में नया होने की कारण मेरे दोस्त नहीं थे इसीलिए अकसर मैं अपनी कॉलोनी मैं अकेला ही नीचे घूमने उतरता | मैं अकसर अकेला ही रहता और अपनी ख्यालों में खोया रहता | एक दिन मैंने अपने सामने के की दूकान से कुछ ख़रीदा तोह पता चला की मैं पुरे रुपैये लाया ही नहीं था, तभी एक सामने आंटी आई और उन्हें कहाआंटी – कुछ नही बेटा, मैं दे देती हूँ . .मैं – नहीं आंटी . .अप्प क्यूँ ..आंटी – चलता हाई . .कभी फुर्सत से दे देनातभी आंटी ने मेरे हाथ में १०० रुपैये दिए और बड़े ही कोमल ढंग से ओना मेरे हातों पर से कहते हुए हटाया | मेरे तोह दिल के पुरे तार हिल चुके थे , मेरा रोम रोम गुड गुदा रहा था | फिर आंटी ने मुझे एक प्यारी सी स्मिले दी और चली गयी |उस रात मैंने किसी से कुछ नहीं बोला खाना भी नही खाया और जाके आँख बंद करके आंटी के हँसते हुए होंटों के बारे में सोचता रहा और पता नहीं चला की आँख कब लग गयी |अगले दिन मैं उठा तोह पता चला की रात को मैं झड गया जिससे मेरा लुंड मेरी चड्डी से चिपक गया था | मैं चुप चाप नहाने गया और साफ़ कर आया |मैं उस दिन शाम को नीचे उतरा तोह पता चला की आंटी भी मेरे पीछे फोन पर बात करती हुए आ रही थी | मैंने आगे जाकर आंटी से कहा की मैं आज फिरर रुपैये भूल गया तो आंटी ने मुझे अपना फोन नो. दे दिया , मैं तोह आसमान पर था | आंटी चुप से फिर वही कामुक मुस्कराहट देकर मुझे हक्का – बक्का कर चली | रात मैंने आंटी को मेसेज किया की उनके रुपैये कल हमारी सलोनी के छोटे से पार्क में दे दूँगा, इसी बात पर आंटी ने मुझे फोन किया और धीमी सी आवाज़ में हाँ भर ली | मुझे समझ में आ चूका था की आंटी अपने पति से चुपके मुझे बात कर रही थी | अगले दिन सही शाम ६.३० बजे मैं आंटी से एक चोट से पार्क में मिला जहाँ अक्सर अँधेरा रहता था, आंटी को मैंने रुपैये दिए और चलने की एक्टिंग चोदने लगा, तभी आंटी ने मुझे बुलाया और कहा, “सुनो, तुम्हारा नाम क्या हाई कहाँ रहते हो?”, मैं समझ गया की आंटी बात आगे बढ़ाना चाहती हैं | मैं मुड़ा और और आंटी के बाजू में जा बैठ गया | फिर क्या था हमने करीब १.५० घंटे बैठ खूब बात की और जाते समये आंटी ने कहा, “तुमसे बात कर अच लगा दोस्त ” | इस पर मैंने उन्हें एक वही मुस्कराहट लौटा दी | बातों से पता चला की आंटी अक्सर घर पर अकेले ही रहा करती थी क्यूंकि उनके पति साले आधे से ज्यदा महीने बहार ही रहते थे अपने काम के सिलसिले में और च्युकी आंटी की शादी को ४ महीने खी बीते थे तो उनका कोई बचा भी नही था | हम २ महीनो तक इसी तरह पार्क पर मिलते तोह कभी फोन पर मेसेज करते रहते |अब मैंने अपनी पढाई के लिए कॉलेज में दाखिला करा लिया था और मेरी दस की छुट्टियाँ चल रही थीं | एक दिन रात १० बजे आंटी का मुझे फोन आया की उनका सिनेमा हॉल में नयी पिक्चर देखने का बड़ा मन हाई, तभी मैंने मौके पर चौका मरते हुए कहा, “चलो मेरे पास एक नयी मूवी आई है, अगर इज़ाज़त हो तोह घर पर आ जून रात को एक साथ देख लेंगे?” आंटी ने पहले तोह थोड़ी अपनी नखरे मरे फिर हाँ भर ली | मैंने अपनी मुम्मी से कॉलेज के प्रोजेक्ट का बहन मारा और अपने दोस्त के घर जाने के बहाने चल दिया आंटी के घर |आंटी के घर पंहुचा तो पता चला वो पहले से ही अपना दरवाज़ा खोल रखा था | आंटी ने पहले मेरी खूब मेहमानों की तरह खातिरदारी की फिर हम दोनों लैपटॉप लेकर बिस्तर पर भात के मूवी देखने लग गए | बीच में मैंने आंटी से लाइट बंद करने को कहा फिर मैंने कुछ और आंटी से सैट कर बैठ गया | धीरे – धीरे मैंने अपना एक ऊँगली आंटी की हथेली पर छुई , तभी आंटी ने मुझे अहुपके से तित्ची नज़रों से देखा और उसका कोई विरोध नहीं किया | इसी तरह मेरा हौंसला बड़ा और मैंने अपनी उँगलियों से आंटी को सहलाना शुरू कर दिया | फिर मैंने अपना हाथ आंटी की कमर जैसे ही सहलाया तोह आंटी को एक झटका सा लग गया | आंटी ने मुझे मुद् के तक नहीं सिखा बस चुपचाप मूवी देखने का नाटक करती रहीं | जब मेरी तेज़ी बड़ी तो मैंने अपना हाथ आंटी के टॉप में पीछे से डाल दिया और एक साथ आंटी को पूरी तरह सहलाने लगा | जब आंटी से रहा नहीं गया तोह आंटी ने अकडन लेकर अपनी आँख बंद कर ली | आंटी के नशीली ऑंखें में जैसे डूब सा गया था, उसने मुझे कहाआंटी – सची बहुत अच लग रहा है. . .मैं – यह तोह शुरुआत है . .फिर मैंने आंटी को अपनी और खींचा और उसके बाल हटके गर्दन चूमने लगा, मैंने एक हाथ से आंटी को पकडे हुए था और दूसरे से उनकी कमर में गुदगुदी कर रहा था | फिर क्या था, मैंने अपने दोनों गुलाबी होठों को मेरे होठों के सामने ला दिया इस पर कामुकता ने भी उल्टा जवाब दिया और मैंने आंटी के गुलाबी होंटों को पके हुए आम की तरह चूसना कर शुरू कर दिया | लगभग हम १० मं तक एक दूसरे के साथ यह इंग्लिश किस (स्मूच) करते रहे |फिर मैंने आंटी को अपनी गोद में लिटाया और अपने दोनों हाथों से उनके दोनों हाथों दबोचते हुए किस करना चालू रखा | इतने में मेरे हाथ उनके मोटे मोटे चुचो तक भी पहुँच गए तभी आंटी भैठी और जोर जोर से मुझे चूमने लगीं, मैंने भी उनके रसीले होठों कोम चूसना और उनके चुचों को दबाना जारी रखा | आखिरकार आंटी की कामुकता ने उसे अपना टॉप उतारने पर मजबूर कर दिया | आंटी ने सफ़ेद रंग का ब्रा पहना हुआ था | मैंने अपने होठों से उनके चूचों को भींचा रहा और आंटी अपना हाथ मेरे सर पर रख तेज़ी से सिसकियाँ भर लगी | मुझे आंटी हवस की भूक उनका ब्रा को खोलने से रोक न सकी, तभी मैंने उनके ब्रा का हुक खोल उसे सूंघने लगा | तभी आंटी के चेहरे पर जैसे शैतान सा चढ गया और कहने लगी ,आंटी – ओए, चूतिये असली माल तोह यहाँ है . . .मैंने भी सारी शर्म छोड कहा,मैं – सबर कर मेरी रांड . . अब तो तू और तेरा तन मेरी अमानत है . .तभी मैं झटके आंटी के उप्पर कूदा और उनके होटों को चूसने लगा साथ ही दोनों हातों से उनले चूचों को मसलने लगा | फिर मैंने आंटी ने निप्पल पर अपनी जीभ रगडी जिससे वोह गुदगुदा उठी और मैंने फिर आंटी के चुचो को पीना चालू कर दिया | कुछ देर बाद देखा तोह आंटी अपने चूत को अपनी पैंट उपार से रगड़ रही थी, यह देखते ही मैं हिल गया और मैंने फोर्रण अपने होटों पर से उनकी चुचों की लगी हुए चर्बी साफ़ की और एक हाथ से अपने हाथ उनकी गांड और चूत पर सहलाने लग गया | तभी आंटी नागिन की तरह बहकती ही जा रही थी और मैंने फिर अपने लंड को निकल आंटी के एक हाथ में थमा दिया और दूसरी और उनकी चूत को पैंट के उप्पर ही मसलने लगा |लंड मिलते ही आंटी ने उसे अपने होठों में दबा लिया और चूसने लग गयी | अब मेरा ताना हुआ लंड उनके मुह में आगे पीछे जा रहा था हिस्से मैं दो बार झड भी चूका था पर आंटी ने सारा का सारा मुठ अपने मुह में मलाई की तरह बड़े सवाद से चाट लिया |फिर कुछ देर आंटी मेरे लंड के साथ खेलते रहीं और उनके फुले हुए मोटे मोटे गुब्बारे को चूसता रहा |जैसे ही मैंने अपना जोश फिर आते देखा तो जोर – जोर से आंटी की चुत के उपार पैंट पर रगड़ने लगा और फिर ज़िप खोल और उनकी नीली पनटी के उप्पर अपनी ऊँगली को डालने को कोशिश करता रहा और आंटी बड़ी – बड़ी सिसकियाँ भर के बिस्तर पर लुढकती रही | थोड़ी देर में आंटी की पैंटी गीली हो चुकी थी और मैंने तेज़ी से आंटी की पैंटी खींची और उसे चाटने लगा फिर मैंने अपने दाँतों के काट काट के फाड दिया | मैं तोह जैसे बेकाबू भैंसा हो चूका था | आंटी ने मुझे झट से अपने गले लगाया और मेरे होठों को चूसने लग गयी | मैंने तभी आंटी को नीचे लिटाया और ६९ शोट की मुद्रा ले ली | एक तरफ आंटी मेरे लैंड को चूस रही थी और दूसरी तरफ मैं आंटी के चुत को जीभ से चाट रहा था और साथ ही आंटी की चुत में ऊँगली घुसा रहा था | सच आंटी की पिली फुद्दी देख मैं तोह सातवें आसमान पर था | आंटी भी उतनी जोर से मेरे लंड के टोपे पर अपनी को फिरा रही थी | इसी तरह १५ मं बिताने के बाद मैंने आंटी को अपने सामने लेटाया और उनकी रसीले होठों को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उनकी चुत पर उन्ली रगड़ने लगा | आंटी तो माधोसि में मुझे जकद्के रखा और मैंने मेरे होठों में खोयी हुए थी |कुछ देर बाद मैंने आंटी की चुत से उँगलियाँ सरकाते हुए उनकी चुत में घुसानी चालू कर दी | पहली बार में ही मैंने दो ऊँगली डाली फिर दो से बड़ा कर चार उन्लियाँ उनकी बुर मैं आगे पीछे करने लगा गया आंटी ने सारी खुजली और मेरे होठों पर निकल दी, आंटी मुझे एक तरफ दांत से काट रही थी तो सूरी तरफ मेरी पीठ नोच ही डाली थी और कहने लगीआंटी – चोद, मादरचोद, आह आह आहा .. .. मेरी तेरी कुतिया हूँ . .चोद मुझे . . बनादे देसी रांड |मैं – ले माँ की लौड़ी. . तेरी चुत मेरी मेरे फौलादी लंड की है . . ले (अपनी चारों उँगलियाँ घुसते हुए )इसी तरह ऊँगली करने के कुछ देर बाद मैंने अपना लंड आंटी के मुहं में डाला और इस बार वही ६९ मुद्रा में आंटी की गांड चाटने लगा और ऊँगली करने लगा |फिर आंटी मेरे सामं लेटी और अपना एक पुन उसने अपना मेरे कमर पर रखा | मैं आंटी के होठों को चूस रहा था और आंटी को एक हाथ से ऊँगली करते हुए मैंने अपना लुंड धीरे से उनकी कट के मुख पर रखा और हलके से थोडा धक्का लगते हुए उसे एक बार में ही आंटी चूत में समां दिया जिससे यह तो साफ़ था की आंटी कुंवारी नही थी और पहले न जाने कितने पर लंड का स्वाद चख चुकी थीं | एक तरफ आंटी के होठों मैं चुस्त रहा तोह दूसरी तरफ आंटी की चुत में अपना लुंड आगे पीछे करदा रहा | धीरे धीरे मेरे लंड की गति बड़ी तो आंटी सिसकियाँ हद पर कर रही थी | आंटी जोर जोर गाली दे रही थीं और उनकी आँखों आंसूं भी निकल रहा थे पर चेहरे पर हवास की भूक पूरी होने की मुस्कराहट थी जो मेरे फौलादी लंड को देद्नादन झटके देने पर मजबूर कर रही थी | हमने लगभग ३५ मिनट तक बेझिझक चुदम चुदाई की और आकिर मैंने झट से अपना लुंड निकला आंटी के मुह में दाल दिया | आंटी के होंटों को मसलते ही मेरा मुठ आंटी के मुह में चला गया, जिसे आंटी ने बड़े ललचा के चाट लिया |तभी आंटी बाथरूम में अपनी चुत पर झडे हुए मुठ को साफ़ करने बाथरूम गयी मैंने मैंने घडी देखि तोह तोह सुबह के ३ बज रहे थे | आंटी ने आकर मेरे लिया बड़ा ही स्वसिह्त खाना बनाया | अहुमने एक साथ खाने के लैपटॉप पर पॉर्न (कामुक) फिल्में देखि और फिर हम दों नंगे होकर चादर लेकर एक साथ लेट गए | आंटी के गांड चाटते, कभी उनके कट में ऊँगली करते हुए ओर आखिरकार उनके रसीले होठों को चूसते हुए कब आँख लग गयी पता ही नही चला | अगले दिन आंटी ने सुबह चाय बनाकर मझे उठाया और जाने से पहले मैंने फिर आंटी के रसीले होठों को चूसा और उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए आंटी को बाये कहा तोह आंटी ने फिर वही कामुक मुस्कराहट दी |आंटी का पति अकसर काम के सिलसिले में बहार ही रहते हैं सो जब मेरा लुंड आंटी की चुत को याद करता तो मैं आंटी के चुत के प्याले को पिने और चुदम-चुदाई करनेपहुँच जाता |

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